वॉट्सऐप का आरोप, पक्षपात कर रहा है भारत

नई दिल्ली। वॉट्सऐप को लगता है कि भारत की नियामकीय व्यवस्था (रेग्युलेटरी सिस्टम) में गूगल और दूसरी पेमेंट सर्विसेज को बेजा बढ़त मिल रही है। उसकी सोच से वाकिफ लोगों ने बताया कि वॉट्सऐप फुल-स्केल लॉन्च के लिए दूसरे देशों पर विचार कर रहा है। इनमें से एक शख्स ने बताया कि मेसेज के वास्तविक प्रेषक (ओरिजिनल सेंडर) का पता लगाने के मुद्दे पर वॉट्सऐप का मानना है कि आखिर मसला फ्री स्पीच का है।उन्होंने कहा कि वॉट्सऐप की राय यह है कि सरकार को टेक्नॉलजी कंपनियों से ज्यादा निगरानी करने के लिए कहने से पहले सार्वजनिक विचार-विमर्श कराना चाहिए।ऊपर वाले शख्स ने कहा कि वॉट्सऐप का रेग्युलेटरी कंप्लायंस गूगल जैसा ही है, लेकिन वॉट्सऐप को ही निशाना बनाया जा रहा है। वॉट्सऐप की पेमेंट सर्विस बीटा मोड में है और सरकार ने कहा है कि अगर उसे यह सर्विस लॉन्च करनी हो तो भारतीयों से जुड़ा सारा डेटा भारत में ही स्टोर करना होगा। कंपनी के एग्जिक्यूटिव्स ने ईटी से कहा कि गूगल की सर्विस तो पूरी तरह चालू हो गई है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वॉट्सऐप पेमेंट सर्विस के फुल लॉन्च को फेक न्यूज पर लगाम कसने की आधिकारिक मांग पर कंपनी के जवाब से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। साथ ही, आईटी मिनिस्ट्री का मानना है कि वॉट्सऐप उसी तरह के टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन का पालन नहीं कर रही है, जैसा गूगल करता है। आरबीआई और नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) को भेजे गए पत्रों में मिनिस्ट्री ने वॉट्सऐप और फेसबुक के बीच डेटा शेयरिंग प्रैक्टिसेज के बारे में भी सवाल किए हैं। उसने कंपनी की डेटा स्टोरेज पॉलिसी पर भी सवाल किया है। एक अन्य शख्स ने बताया कि वॉट्सऐप डेटा मिररिंग यानी विदेशी सर्वर्स के साथ भारत में भी डेटा स्टोर करने के लिए तैयार है और अगर उसे केवल भारत में डेटा स्टोर करना पड़ा, तो वह अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करेगा। उन्होंने कहा कि फुल डेटा लोकलाइजेशन का मतलब यह होगा कि केवल भारत के लिए रीडिजाइनिंग की जाए और इससे भारत के लिए इनोवेशन की रफ्तार घटेगी। वॉट्सऐप के प्लेटफॉर्म पर दुनियाभर में 1.5 अरब लोग हैं और 20 करोड़ ऐक्टिव मंथली यूजर्स के साथ भारत इसका सबसे बड़ा यूजर मार्केट है।

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